जौनपुर:- आज 11 नवंबर को देश भर में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस आज़ाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के रूप में मनाया जा रहा है,इस दिन देशवासियों द्वारा मौलाना आज़ाद को याद किया जाता है,जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस अवसर पर स्कूलों में विभिन्न सेमिनार,कार्यक्रम और निबंध लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। छात्र और शिक्षक मिलकर इस दिन शिक्षा के महत्व पर चर्चा करते हैं।
इस अवसर पर हमने कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के ज़िलाध्यक्ष आरिफ खान से शिक्षा के बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि क़ुरआन की सबसे पहली आयत इक़रा यानी पढ़ो आप सल्लाहु अलैहि वसल्लम पर वही के माध्यम से उतरी है जो सारे इंसानों को शिक्षा की अहमियत बतलाती है। और आज का दिन मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के शिक्षा के क्षेत्र में योगदान पर बातचीत की जाए तो मौलाना अबुल कमाल आज़ाद 10 साल तक देश के शिक्षा मंत्री रहें,देश के कई बड़े शिक्षण संस्थान को स्थापित करने में उनका अहम योगदान था, IIT, UGC जैसे संस्थान को स्थापित करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भुमिका निभाई थी,दिल्ली में स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया के स्थापना में भी उनका अहम योगदान रहा है।
उन्होंने कहा कि विश्वस्तरीय शिक्षा का देश में प्रसार हो,इसके लिए मौलाना ने न सिर्फ बच्चों को,बल्कि बड़ों को भी ज़्यादा से ज़्यादा स्कूल से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की,शिक्षा के बारे में मौलाना आज़ाद के विचार बड़े ही क्रांतिकारी थे। उनका कहना था,यह प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है कि उसे कम से कम बुनियादी शिक्षा मिले जिसके बगैर वह एक नागरिक के तौर पर अपने कर्तव्यों को पूरी तरह नहीं निभा सकता मौलाना आज़ाद अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अध्यक्ष भी रहे और आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी और नेहरू के सबसे बड़े सहयोगी रहे। आज हमें भी आवश्यकता है कि उनके बताए हुए मार्ग पर चलकर ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को शिक्षा की ओर प्रेरित करें। तभी उनको सच्ची श्रंद्धाजली होगी।