आई वी ऍफ़ विधि महिलाओं के लिये किसी वरदान से कम नहीं: डॉ अंजू कन्नौजिया

जौनपुर नामा
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जौनपुर:- नगर के पॉलिटेक्निक चौराहे के के निकट स्थित आशीर्वाद हॉस्पिटल में प्रत्येक वर्ष की भाती ईस् वर्ष भी 25 जुलाई 2024 को वर्ल्ड आई.वी.एफ डे मनाया गया। आपको एक ऐसी सिलेब्रिटी के बारे में बतायेगे जिसके लिए आई.वी.एफ.किसी वरदान से कम नहीं है। विज्ञान ने इतनी ज्यादा तरक्की कर ली है कि जिन जोड़ो( कपल्स) को अब नार्मली कंसीब (बच्चा) नहीं हो पाता है। उन्हें आई.वी.एफ. की मदद से संतान पाने में मदद मिल रहा है। आई.वी.एफ.दिवस का इतिहास 10 नवम्बर 1977 को लेस्ली बाउन नाम की महिला डॉ० पेट्रिक स्टेप्टो और राबर्ट एड की मदद से आई.वी.एफ प्रक्रिया शुरू की और 25 जुलाई 1978 को एक बच्चे को जन्म दिया।

विश्व भ्रूण विज्ञान दिवस मनाने का उ‌द्देश्य से इस दिन उन भ्रूण वैज्ञानिको को धन्यवाद दिया जाता है। जो जिन्दगी बचाने के साथ ही जीवन देने का कार्य किए है। ऐसे दम्पति जो गर्भाधारण करेन की उम्मीद खो चुके हैं। उन्हें माता पिता बनने की एक नई राह दिखाने के उद्देश्य से आई.वी.एफ.उनका विश्वस्थ सहयोगी सिद्ध हो रहा है, इस लिए हम सभी आई बी एफ दिवस मनाते हैं। आई. वी. एफ. दिवस मनाने का उद्देश्य आई.वी.एफ के प्रति लोगों को जागरूक करना है कि अब संतान के लिए निराशा नहीं,बल्कि खुशी मनाने का अवसर मिला है।
आज 25 जुलाई के दिन जगह-जगह आई.वी.एफ. के सेमीनार वर्कशाप और कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। जिससे लोग अपनी इनफर्टिलिटी के बारे में खुलकर बात कर सके। अभी भी कुछ लोग इस प्रक्रिया का सहारा लेने में असहज महसूस करते हैं। कसीब नहीं कर पा रहे। कपल्स के लिए यह कंसीब करने का एक बेहतर विकल्प है।

उक्त बाते डॉ अंजू कन्नौजिया ने बताते हुए कहा कि यदि किसी भी पति पत्नी को संतान नहीं हो रहा हो तो वह एक विश्वास के साथ आकर मिले उनकी सभी बातो को गोपनीय रखा जाएगा। इसी क्रम में डॉ अंजू बताया कि डेढ़ वर्षों में 8,9 की आई वी एफ से डीलवरी कराई गई है और लगभग दो दर्जन से अधिक,महिलाओं का रिजल्ट पॉजिटिव पाया गया है। उक्त विधि द्वारा बने माता पिता इस वर्ल्ड आई वी एफ दिवस पर उपस्थित रहे है।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से डा० दीप शिखा सिंह,डॉ सुभाषी श्रीवास्तव,कुलवन्त,रेखा,सुनील कन्नौजिया, अजहर,गुंजन श्रीवास्तव आदि समस्त स्टाफ रहे।अन्त में आये हुए सभी अतिथियों का डॉ अंजू  कन्नौजिया एम बी बी एस,(एम एस गाइनी) एवं डॉ विनोद कन्नौजिया एम एस (आर्थो ) ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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