जौनपुर:- मोहम्मद उस ज़ात का नाम है जिसकी पहचान अल्लाह ने अपनी पहचान के साथ कराई। कुरआन में अल्लाह ने कई बार जब अपनी पहचान करानी चाही तो मोहम्मद साहब का जिक्र किया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मोहम्मद साहब अल्लाह के कितने महबूब हैं क्योंकि अल्लाह ने इस पैगम्बर की ताजीम कायनात के जर्रे जर्रे के लिए वाजिब करार दी है। उक्त बातें उत्तराखंड हरिद्वार से आये मौलाना गुलाम अली खां ने नगर के बलुआघाट स्थित इमामबाड़ा मीर सैयद अली मरहूम में आयोजित मजलिसे तरहीम मरहूम इकबाल कमर व हुसैन बांदी को खेताब करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि जिस मोहम्मद की अजमत को अल्लाह कुरआन में बार बार बयान करता दिखाई पड़ रहा है और उसकी ताजीम हर किसी पर वाजिब करार दी है वह मोहम्मद अगर किसी की ताजीम खुद करे तो उसका मरतबा कितना बलंद होगा। उन्होंने कहा कि वह कोई और नहीं बल्कि जनाबे फातमा जहरा की जात है। उन्होंने कहा कि उनकी अजमत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अल्लाह ने अपना पैगाम भेजने के लिए बार बार मोहम्मद के पास जिब्राइल फरिश्ते को भेजा लेकिन जब जनाबे फातमा के पाने की बात हुई तो अल्लाह ने खुद मोहम्मद को सातवें आसमान पर बुलाकर उस वृक्ष का फल खाने के लिए कहा जिसमें फातमा का नूर समाहित था।
मोहम्मद साहब ने खुद जनाबे फातमा की ताजीम में खड़े होकर जमाने को उनकी अजमत की पहचान कराई लेकिन उसी फातमा पर उम्मत ने मोहम्मद साहब की शहादत के बाद तरह तरह के जुल्म ढहाने शुरू कर दिये यहां तक कि आग और लकड़ियां लेकर न सिर्फ दरवाजे तक आये बल्कि दरवाजे में आग लगाई और जल्ते हुए दरवाजे को मोहम्मद साहब की बेटी के ऊपर गिरा दिया और उसी दरवाजे पर चढ़कर घर के अंदर प्रवेश कर गये जिससे उनकी पसलियां टूट गई और शरीर झुलस गया साथ ही उनके शिकम में पल रहे बेटे मोहसिन की शहादत भी इसी वजह से हो गई। कहा कि उम्मत ने मोहम्मद साहब की इकलौती बेटी पर इतना जुल्म किया कि मोहम्मद साहब की शहादत के बाद मात्र 73 से 90 दिन ही वोह जीवित रह पाई। इसके पूर्व मजलिस का आगाज मेंहदी जैदी व उनके हमनवां की सोजखानी से हुआ। जिसके बाद डॉ.शोहरत जौनपुरी, शम्सी आजाद ,हैदर अनवार व शहंशाह जौनपुरी ने पेशखानी की,अंजुमन शमशीरे हैदरी सदर इमामबाड़ा के साहबे बयाज शहज़ादे ने दर्द भरे नौहा पेश किया।
इस मौके पर राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य हैदर अब्बास चाँद,जिलाध्यक्ष भाजपा अल्पसंख्यक मोर्च मेराज हैदर,वक़ार हुसैन,ज्ञान कुमार,सैय्यद अक़ी हैदर शावेज़,रियाजुल हक़ पूर्व प्रधान,हसन ज़ाहिद खान,शाहिद मेंहदी, नेहाल हैदर,कैफी रिज़वी,सैय्यद मंज़र अब्बास,फरमान हैदर,अजादार हुसैन,तहसीन शाहिद,नयाब हसन,समीर प्रधान,आज़म ज़ैदी,डॉ एम रज़ा बेग,डॉ मेहर अब्बास, सैय्यद शहंशाह हुसैन रिज़वी एडवोकेट, सैय्यद अलमदार रिज़वी,सैय्यद खादिम अब्बास, आज़म ज़ैदी,शाहिद हुसैन,डॉ मोहम्मद सज्जाद मेंहदी,अर्शी,माजिद हसन,शाहादुल हसन,तक़ी हैदर काजू मोहम्मद रशीद,मोहम्मद अली,अली मेहदी रूमी,मिर्ज़ा रमी,सकलैन हैदर खान,सहित अन्य लोग मौजूद थे। सै.हसनैन कमर व सैय्यद अफरोज कमर ने आभार प्रकट किया।