जौनपुर:- नगर के मोहल्ला शेख़ मुहामीद में स्थित अनवार मंज़िल में बज़्म ए शीराज़ के तत्वावधान में मासिक तरही काव्य गोष्ठी का आयोजन "हर राह तेरी राह गुज़र होने लगी है" मिसरा ए तरह पर शायर अहमद निसार जौनपुरी की अध्यक्षता में किया गया। जिसकी सरपरस्ती शायर अनवार जौनपुरी ने एवं संचालन शहज़ाद जौनपुरी ने किया। प्रोग्राम की शुरुआत क़ारी ज़िया जौनपुरी ने तिलावत ए क़ुरआन से किया नात ए पाक शायर मोनिस जौनपुरी ने प्रस्तुत किया।
शायर अहमद निसार जौनपुरी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि उर्दू भाषा एक मीठी भाषा है जिससे हर कोई प्यार करता है मगर आज उर्दू के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है जबकि इस उर्दू भाषा ने भारत देश को आज़ाद कराने में अहम भूमिका निभाई है और इस भाषा को जीवित रखने के लिये काव्य गोष्ठि का आयोजन एक बेहतरीन क़दम है।
चंद पंक्तियां आपके समक्ष है।
किस किस को ये समझाएं कि पत्थर न् उछालो
मजरूह बहुत शाख़ ए समर होने लगी है
अहमद निसार जौनपुरी
ऐ जान ए वफ़ा है तेरे जलवों का करिश्मा
सूरज नहीं निकला है सहर होने लगी है
अकरम जौनपुरी
मंज़ूर नहीं दीद व तर को जो मनाज़िर
उनके लिए बेताब नज़र होने लगी है
नादिम जौनपुरी
जो आंख मेरी मौत पे रस्मन भी न रोई
अब सुनते हैं वो आँख भी तर होने लगी है
प्रेम जौनपुरी
होती है तो होने दे अगर होने लगी है
ये दुनिया अगर तंग नज़र होने लगी है
मोनिस जौनपुरी
जो बात लबों पर मेरे आयी नहीं अबतक
उस बात की भी सबको खबर होने लगी है
शजर जौनपुरी
आमद हुई बाग़ में अब दौर ए खिज़ां की
बे बर्ग हर एक शाख़ ए शजर होने लगी है
अनवार जौनपुरी
अब जाके चराग़ों का सफ़र ख़त्म हुआ है
अब जाके शब ए ग़म की सहर होने लगी है
मज़हर आसिफ़
अंत में बज़्म ए शीराज़ के कन्वीनर अनवारुल हक़ अनवार ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर कमल जौनपुरी,शोहरत जौनपुरी,सर जौनपुरी,तहज़ीब आबिद,अहमद अज़ीज़ ग़ाज़ीपुरी,ख़लील इब्न ए असर जौनपुरी,आशिक़ जौनपुरी,मुसतईन जौनपुरी,गिरिश श्रीवास्तव,राहिब जौनपुरी,नासिर जौनपुरी,मौलाना ताजुलइस्लाम,इम्तियाज़,अय्यूब,अतीकुर्रहमान,साजिद अनवार,माजिद अनवार समेत आदि उपस्थित रहे।
सैलाब मेरे घर की तरफ आए न आए
जवाब देंहटाएंदरिया से मिरी बात मगर होने लगी है।