जौनपुर:- इमाम हुसैन के नजरिए पर अमल करते हुए अपने हुर्रियत के दरवाजे खुले रखो। कब कौन हुर बनकर आपके बीच आ जाये। उसे गले लगाओ और इस तरीके से उसका इस्तेकबाल करो जैसा इमाम हुसैन अ.स.ने कर्बला में हुर के आने पर किया था। आज के दौर में सबसे अहम तरीन बात ये है कि किसी भी आने वाले के पिछले जीवन को न देखो बल्कि उसे आगे बढ़ाने की कोशिश करो। उक्त बातें मौलाना शब्बीर हसन वारसी ने रविवार को कर्तिहा गांव के सदर इमामबाड़ा में मजलिसे चेहलुम नसीम फात्मा कर्बलाई को खिताब करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि इस्लाम को कुछ लोगों ने बेवजह बदनाम किया जबकि इस्लाम आज जो जिंदा है वह कुर्बानियों की देन है जिसकी सबसे बड़ी मिसाल हमें कर्बला में देखने को मिली है। माहे मुहर्रम का महीना करीब है और पूरी दुनिया अपने आका हुसैन का गम मनाने के लिए अभी से तैयारी में जुट गई है। इस्लाम को बचाने के लिए अहलेबैत ने जो कुर्बानी पेश की है वोह शायद ही कहीं देखने को मिले।
इससे पूर्व सोजखानी मुश्ताक हुसैन कर्बलाई व उनके हमनवा रन्नो ने पढ़ा। पेशखानी फरहान सुलतानपुरी व इब्ने जाफर सुलतानपुरी ने किया। संचालन मौलाना सादिक हसन जलालपुरी ने किया। इस मौके पर हैदर अब्बास नजम फूलपुर, शहंशाह,मोहम्मद रिजवान पूर्व प्रधान,शबी अब्बास, मासूम अली,मुजम्मिल अली,अली इमाम,शेर अली, गुड्डू,फहमी,मौलाना जामिन,अली हैदर,मौलाना वसी अहमद,मौलाना हसन अकबर सहित अन्य लोग मौजूद रहे।