अल्लामा शफ़ीक़ जौनपुरी की याद में काव्य गोष्ठी का आयोजन

जौनपुर नामा
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जौनपुर: नगर के मोहल्ला सिपाह जामिया नगर स्थित उर्दू घर में बज़्म ए हफ़ीज़ जौनपुरी द्वारा शायर अल्लामा शफ़ीक़ जौनपुरी की याद में रविवार का शाम एक तरही काव्य गोष्ठी का आयोजन शायर इबरत मछलीशहरी की अध्यक्षता में आयोजन किया गया। प्रोग्राम की शुरुआत शायर अंसार जौनपुरी ने नात ए पाक प्रस्तुत करके किया। मुख्यातिथि के रूप में जामिया ग्रुप ऑफ एजुकेशन के चेयरमैन मौलाना अनवर अहमद क़ासमी व विशिष्ट अतिथि के रूप में शायर अनवारुल हक़ अनवार जौनपुरी सम्मिलित हुए।
इरफ़ान जौनपुरी ने शायर अल्लामा शफ़ीक़ जौनपुरी पर तब्सिरा करते हुए कहा कि शीराज़ ए हिंद जौनपुर के काव्य पटल पर अपनी छाप छोड़ने वाले शायरों में फ़ख़्र ए मशरिक अल्लामा शफ़ीक़ जौनपुरी का नाम न केवल जौनपुर में बल्कि आज़ादी से पूर्व के भारत में भी उज्ज्वल और प्रमुख रहा है और आज भी उनके उल्लेख के बिना जौनपुर के उर्दू कवियों की सूची मुकम्मल नहीं हो सकती है।वहीं मोहम्मद तबरेज़ ने अपनी आवाज़ में अल्लामा शफ़ीक़ जौनपुरी की एक ग़ज़ल भी प्रस्तुत की।
गोष्ठी में प्रस्तुत की गई कुछ पंक्तियां

दस्त ए हेनाई आपका चमका नहीं यूंही
मैंने हिना में खून वफ़ा का मिला दिया
इबरत मछलीशहरी

हैरत से देखती है मुझे चश्म ए मैकदा
जबसे किसी ने जाम ए मोहब्बत पिला दिया
अकरम जौनपुरी

उसकी नज़र का बोझ चलो कुछ तो कम हुआ
मुझको भी आज उसने नज़र से गिरा दीया
असीम मछलीशहरी

गैरों को क्या ग़रज़ है कि जलाते मेरा चमन
अपना था कोई आग को जिसने हवा दिया
अनवार अहमद क़ासमी

मैं सो रहा था ओढ़के चादर नसीब की
घर की ज़रूरतों ने अचानक जगा दिया
अहमद अज़ीज़ ग़ाज़ीपुरी

इसके इलावा एहसास अब्बास,मज़हर आसिफ़, खलील इब्न-ए-असर जौनपुरी,क़ारी ज़िया जौनपुरी,अंसार जौनपुरी,युवा शायर वसीम जौनपुरी,डॉ.पीसी विश्वकर्मा,आशिक जौनपुरी,मुनव्वर अली गुमनाम जौनपुरी,अमृत प्रकाश जौनपुरी,नादिम जौनपुरी,विभा तिवारी ने भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम का संचालन शायर शहज़ाद जौनपुरी ने किया। इस अवसर पर डॉ.अबू अकरम कासमी,डॉ.अर्शी नवाज,साजिद अनवार,माजिद अनवार,मुहम्मद अकरम,परवेज जौनपुरी,मुहम्मद आजम ने विशेष रूप से उपस्थित रहे।

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